Thursday, March 26, 2009

मेरी वैशाली यात्रा.


स्वागतम -

तो प्रभु लोग, अपन आ गए आप से अपनी बातें बतियाने। आप सब लोगो का हार्दिक अभिनन्दन और सुस्वागतम।

मेरा परिचय- 1

बन्दे को प्रिय रंजन कहा जाता है, और भी बहुत सारे लोग भांति भांति के चित्र - विचित्र नामों से पुकारते आ रहे हैं। सो आप लोग भी पुर्णतः स्वतंत्र हैं, जो मन में आए सो नाम लेकर पुकारिए। हमारे दादा जी हमें रवि रंजन, दादी जी विरंजन, चाचा-चची-मौसा-मौसी-बुआ-फूफा-मामा-मामी रंजन, गाँव के अनपढ़ लोग 'गोर लगी बावा', गाँव के ही पढ़े लिखे लोग पिरिये रंजन, स्कूल की शिक्षिका लोग प्रिया रंजन, स्कूल के लडकें प्रिय रंजन और स्कूल की लड़कियां पिया रंजन कहके अपने अपने जिह्वा का तमाशा दिखाया करते थें। आप लोगों के जो मन में आए सो कहिये- 'यथेच्छसि तथा कुरु' ।

मेरा गाँव-

बन्दे का गाँव बिहार के वैशाली जिले में रोहना नाम से जाना जाता है। इस गाँव से २ किमी की दूरी पर ही प्राचीन वैशाली राज्य और वज्जी संघ के भग्नावशेष मिल जातें है। अशोक का खम्भा, जिसे लोग बाग़ सम्राट अशोक का स्तम्भ भी कहते हैं; और गाँव वाले 'भीमसिंह की लाठी' के नाम से मशहूर करते हैं; मेरे रोहना गाँव से ४.५ किमी की दूरी पर है। ठीक बीच में करीब ३ किमी की दूरी पर जापानी, चीनी, ताईवानी और अन्य बौध देशों के लोगों ने अपने अपने मठ और ठिकाने बना रखे हैं। मेरे गाँव से करीब ७ किमी की दूरी पर ही २४वे जैन तीर्थंकर, भगवान् वर्धमान महावीर का जन्मस्थान, कुंडग्राम भी है। इस तरह देखा जाए तो देखने वाली बात ये है, कि मेरे गाँव के आस पास का पूरा इलाका देखने लायक है। अब यही कि इस बार होली के छुट्टियों में मैं जरा अपने गाँव निकल गया। तो देखा की इतने दिनों बाद आया हूँ तो जरा देख लिया जाए की वैशाली कितनी सुंदर है।

वैशाली भ्रमण-

१। ये है(chitr me) विश्व शान्ति स्तूप- जिसे जापान सरकार के सहयोग से बौद्ध धर्म गुरु- श्री फूजी गुरूजी ने बनवाया था। १९९२ में बनना शुरू हुआ और १९९८ में बनकर पूरा हुआ। ये शान्ति स्तूप (पैगोडा) ३८ मी उंचा है। यह स्तूप वैशाली जिले के चक्रम्दास गाँव में स्थित है।

२। अशोक का खम्भा। इसे सम्राट अशोक ने अपनी तीर्थ यात्राओं के स्मारिका के तौर पर बनवाया था। ये मुजफ्फरपुर जिले के कोल्हुआ गाँव में स्थित है।

३।ढाई हज़ार साल पुराना स्तूप। असल में भगवान् बुद्ध के मृत्यु के बाद उनके फूलों (भस्म) पर २१ स्तूप बनाए गए थे। यह स्तूप उन २१ स्तूपों में से एक है। खुदाई के द्वारा पुरातत्व विभाग को यहाँ से भगवान् बुद्ध के फुल मिले, जिसे पटना संग्रहालय में रखा गया है। ये स्तूप विश्व शान्ति स्तूप के पास ही, चक्रम्दास गाँव में ही स्थित है।
और भी बहुत सारी चीजें देखीं, मगर उनका फ़िर कभी जिक्र करेंगे।
अभी अपन चलते हैंगे। भैये, जिन जिन महानुभावो को मेरी यात्रा अच्छी लगी, वे लोग कमेन्ट पास करो; और जिन जिन दिव्यत्माओं को ये पसंद नही आई, वे लोग भारी भारी कमेन्ट मारो। मेरा ब्लॉग सब कुछ सहने और आप यार लोगों से दिल की बात करने को बेताब है।
तो गुरु- हो जाए शुरू।